Sunday, November 20, 2011

"Kuch aur"...



"गम  सब  की  ज़िन्दगी  में  हैं  लेकिन  दूसरों की  छोटी  सी  ख़ुशी  में  शामिल  होने  का  मज़ा ही  कुछ  और  है..
पास  नहीं  तो  क्या ..किसी  की  याद   में  मुस्कुराने   का  एहसास  ही  कुछ  और  है...
बारीश  सबको  भाती है  पर  उन  चंद   बूंदों   से   महकी   गीली   मिटटी   की   खुशबू  की बात  ही  कुछ  और  है ..
कितने  भी   नए   रिश्ते   बन   जाएँ  ..पर   पुराने   दोस्तों   से   मिलने   की   ख़ुशी  ही   कुछ   और  है ..
माँ  पापा   की   डांट  तो  सब  सुनते  है ..लेकिन  उनकी  एक  मुस्कराहट  का  कारण  बनने   का  मज़ा   ही  कुछ  और  है ..
शब्दों  के  जरिये  दिल   का  हाल  तो  सब  समझ   जाते   है..कोई  तुम्हारी  आँखें  पढ़  के सब  समझ  जाये  तो  बात  ही  कुछ  और  है ...
चाहे  जितना  आगे  बढ़  जाये  इस  तेज़  रफ़्तार  ज़िन्दगी  में ..दो  पल  रुक  कर  कुछ  ना  करने   का  मज़ा  ही  कुछ  और  है ........"



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